हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई ने कहां,इस्तेग़फ़ार का मतलब है गुनाहों पर अल्लाह से माफ़ी मांगना और तौबा करना। अगर ये इस्तेग़फ़ार सही तरीक़े से किया जाए तो इंसान पर अल्लाह बरकतों के दरवाज़े खोल देता है।
एक इंसान और एक इंसानी समाज को अल्लाह की कृपाओं में से जिस चीज़ की भी ज़रूरत है -उसका फ़ज़्ल, उसकी हिदायत, उसकी रहमत, उसका नूर, उसकी तरफ़ से तौफ़ीक़, कामों में मदद, अलग अलग मैदानों में कामयाबियां- उसका रास्ता वो गुनाह बंद कर देते हैं जो हम अंजाम देते हैं।
गुनाह हमारे और अल्लाह की रहमत और फ़ज़्ल व करम के बीच पर्दा बन जाते हैं। इस्तेग़फ़ार उस पर्दे को हटा देता है और अल्लाह की रहमत और उसके फ़ज़्ल व करम का दरवाज़ा हम पर खुल जाता है। ये इस्तेग़फ़ार का फ़ायदा है। इसी लिए आप क़ुरआने मजीद की कई आयतों में देखते हैं कि इस्तेग़फ़ार के नतीजे में कई सांसारिक और कभी कभी आख़ेरत के फ़ायदों का ज़िक्र किया गया है।
इमाम ख़ामेनेई,